Navjot Singh Sidhu | नवजोत सिंह सिद्धू की पूरी कहानी
साथियों आज हम बात करने जा रहने हैं लगातार सुर्ख़ियों में बने रहने वाले “नवजोत सिंह सिद्धू | Navjot Singh Sidhu” की… जब समुद्र शांत हो तो कोई भी जहाज चला जा सकता है, ये कहना है नवजोद सिंह सिद्धू का जो अक्सर किसी न किसी वजह से सुर्खियों में बने रहते हैं!
नवजोद सिंह सिद्धू क्या काम करते है ये बताना थोड़ा मुश्किल है क्योकि वो हर फील्ड में माहिर है नवजोद सिंह सिद्धू जाने माने क्रिकेटर ही नहीं, कॉमेडी शो के जज, कवि, सांसद, कमेंटेटर भी है| आज हम Navjot Singh Sidhu के जीवन के कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं के बारे में आपको बताएँगे….
नवजोत सिंह सिद्धू का जन्म 20 अक्टूबर 1963 को पंजाब राज्य के पटियाला जिले में हुआ था | उनके पिता सरदार भगवंत सिंह सिद्धू भी एक क्रिकेट थे और उनकी दिली इच्छा थी की के नवजोत सिंह सिद्धू अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपने कदम जमाए |
सिद्धू ने पटियाला के यदिवेंद्र स्कूल से प्रारम्भिक शिक्षा और चंडीगढ़ के मोहिन्द्रा कॉलेज से स्नातक उत्तीर्ण की और वो पंजाव यूनिवर्सिटी से कानून विषय में स्नातक है| नवजोत सिंह सिधु के एक बेटी राबिया और एक बेटा करण है|
अपने पिता के क्रिकेटर होने और शुरुआत से ही क्रिकेट से लगाव होने के कारण नवजोत सिंह सिद्धू बचपन में ही क्रिकेट के माहिर हो गए थे| नवजोत सिंह सिद्धू का अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर 1983 से लेकर 1999 तक रहा|
अपने पिता के जाने-माने क्रिकेटर होने के बावजूद नवजोत सिंह सिद्धू को अपने शुरुवाती जीवन में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा| आलम यह था की अन्तराष्ट्रीय क्रिकेट के दो टेस्ट मैच खेलने के बाद उन्हें टीम से बाहर बैठना पड़ा था|
लगभग 5 वर्षो तक क्रिकेट में संघर्ष करने के बाद उनकी किस्मत तब चमकी जब उनको 1987 के वर्ल्ड कप के लिए चुन लिया गया| नवजोत सिंह सिधु ने एक इंटरव्यू में बताया था कि 1983 से क्रिकेट में आने के बाद जब वो काफी खराब दौर से गुजर रहे थे तब जाने माने क्रिकेट लेखक राजन भोला ने उन पर एक आर्टिकल लिखा जिसका शीर्षक “Sidhu: The Strokeless Wonder” था, जो की इंडियन एक्सप्रेस में छपा था|
इस आर्टिकल के छपने के बाद नवजोद सिंह सिद्धू ने अपने जीवन में बदलाव लाना आरम्भ किया और क्रिकेट में अपने स्तर को सुधारने का प्रयास किया जिसकी बदौलत उनको 1987 के वर्ल्ड कप में बेहतर प्रदर्शन किया |
अब नवजोद सिंह सिद्धू की प्रसिद्धि धीरे-धीरे बढ़ने लगी थी| तब उसी लेखक ने फिर नवजोत सिंह सिद्धू पर एक आर्टिकल लिखा जिसका शीर्षक था “Sidhu: From Strokeless Wonder To A Palm-Grove Hitter” | इस तरह क्रिकेट में आलोचनाओं से उन्होंने अपने स्तर को सुधारा|
नवजोत सिंह सिधु ने अपना अंतिम टेस्ट मैच 6 जनवरी 1999 को न्यूज़ीलैण्ड के खिलाफ खेला था जबकि अंतिम एक दिवसीय मैच 20 सितम्बर 1998 को पाकिस्तान के विरुद्ध खेला था | इसके बाद दिसम्बर 1999 में उन्होंने अपने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट में सन्यास की घोषणा कर दी|
बहुत ही अच्छा पोस्ट लिखी हैं अपने।