Skip to content
Short Moral Stories in Hindi

मीकु की समझदारी | Short Moral Stories in Hindi


Short Moral Stories in Hindi

एक बार एक जंगल में नए साल के जश्न को मनाने का फैसला लिया गया| जंगल के राजा शेर ने पुरे जंगल के जानवरों को दावत देने का ऐलान किया| सभी जानवर राजा के इस ऐलान को सुनकर बहुत खुश हुए| जंगल के राजा शेर ने दावत के लिए एक मैदान को सुनिश्चित किया| दावत का इंतज़ाम करने के लिए राजा ने सभी जानवरों को एक-एक काम सोंप दिया| जश्न की तैयारियां बड़े ही जोरों शोरों से चल रही थी| इसी बिच हाथियों के सरदार गजराज और उनके साथियों को दावत के लिए सभी जरुरी सामान का इंतजाम करने की ज़िम्मेदारी दी गई|  गजराज ने यह जिमेदारी उठाने के लिए एक दल बनाया| इस दल में हाथियों के अलावा जिराफ, जेबरा  और दुसरे बलशाली जानवरों को भी रखा गया|

जंगल में एक खरगोश भी था, नाम था जिसका मीकु| मीकु के  छोटा होने के कारण उसे किसी भी काम की ज़िम्मेदारी नहीं दी गई| मीकु का भी इस आयोजन में अपना कुछ योगदान देने का बहुत मन था| लिहाज़ा उसने गजराज को अपने मन की बात बताई|  पहले तो गजराज को मीकु की बात सुनकर बहुत हसीं आई| फिर गजराज ने मीकु को समझाया और कहा “तुम दुसरे जानवरों से बहुत छोटे हो, ना तो तुम कोई सामान उठा पाओगे और ना ही दूसरा कोई भरी काम कर पाओगे| लेकिन मीकु ने गजराज की एक ना सुनी| मीकु ने गजराज से कहा “में भी आपके साथ रहना चाहता हूँ और इस सामूहिक कार्य में, में भी अपना योगदान देना चाहता हूँ|

आख़िरकार, गजराज को मीकु की जिद के सामने घुटने टेकने पड गए  और उन्होंने मीकु को अपने दल में शामिल कर लिया| लेकिन साथ ही उसे दूर से काम को देखने और पास ना आने की सख्त हिदायत भी दी|

Short Moral Stories in Hindi

जश्न के दिन गजराज ने ओने साथियों के साथ मिलकर सारा सामान एक गाड़ी पर रखा और मैदान की और निकल पड़े| वे थोड़े दूर चले ही थे की अचानक गाड़ी का एक पहिया टूट गया| गजराज ने गाड़ी में रखा दूसरा पहिया निकला और टूटे पहिये को खोलकर उसकी जगह दूसरा पहिया लगाने लगे|

जैसे ही उन्होंने पहिया खोला और दूसरा पहिया लगाने लगे तभी वहां से सियारों का एक झुण्ड तेजी से गुजरा और उनके पैरों में दबकर पहिये के सभी पेंच खो गए| गजराज परेशान हो गया| सभी जानवर एक दुसरे का मुह  देखने लगे, अब सामान मैदान तक नहीं ले जाया जा सकता था|

तभी मीकु के दिमाग में एक उपाय आया| उसने गजराज से बोला ” क्यों न हम बाकि तीनो पहियों का एक-एक पेंच खोल कर चोथे पहिये में लगा लें क्यों की सभी पहिये तिन पेंच पर भी चल सकते हैं|

मीकु की समझदारी देख सभी जानवरों के चहरे खिल गए| सही समय पर मीकु की समझदारी से सामान मैदान तक पहुँच गया और बड़े ही धूम धाम से नए साल का जश्न मनाया गया| लकिन पुरे जश्न में सिर्फ मीकु की समझदारी की ही बाते चल रही थी| आज मीकु की समझदारी के सब कायल थे….

कहानी का तर्क यही है, कि सही समय पर लिया गया आपका सही फैसला ही आपको सफलता और उपलब्धि दिला सकता है|

Short Moral Stories in Hindi

यह भी पढ़ें-
कृतज्ञता | Moral Stories in Hindi
मेघावी सुभाष | Moral Stories in Hindi
झूठ का महल | Moral Stories in Hindi

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Hindi Short Stories » मीकु की समझदारी | Moral Stories in Hindi

मीकु की समझदारी | Moral Stories in Hindi

Exit mobile version