लालच बुरी बला | Lalach Buri Bala Moral Story in Hindi
Lalach Buri Bala Moral Story in Hindi
एक समय की बात है, एक जंगल में एक बहुत बड़ा हाथी रहता था| वह इतना विशाल था, कि जब वह जंगल में निकलता तो जंगल के सभी जानवर अपनी जान बचाकर भागने लगते| उसके बड़े-बड़े पैरों के निचे कई हठी कुचलकर मर जाते| पूरा जंगल उस हाथी के आतंक से बहुत परेशान था| जंगल के सभी जानवर हाथी को मार गिराने का उपाय सोचते रहते, लेकिन कोई भी ऐसा उपाय नहीं सुझा पता जिससे उस विशालकाय हाथोई को मार दिया जा सके|
सभी जानवर हाथी के आतंक से इतना परेशान हो चुके थे की अब हाथी को मार गिराने के अलावा उनके पास और कोई चारा नहीं था| लेकिन असली परेशानी यह थी, कि आखिर कैसे इतने पड़े विशालकाय हाथी के आतंक से छुटकारा पाया जा सके| इसके लिए जंगल के सभी जानवरों ने बरगद के एक पेड़ के निचे मीटिंग करने का फैसला किया| तय समय पर जंगल के सभी जानवर बरगद के पेड़ के निचे इकठ्ठा हुए| इसी बिच हाथी को मार गिराने का बीड़ा उठाया एक वृद्ध सियार ने|
सियार ने सभी जानवरों कहा- भाइयों आपने द्वारा बताए गए सभी उपाय स्वयं के लिए खातार्नाख है, इसलिए उन पर अमल नहीं किया जा सकता लेकिन में आप सभी से करता हूँ, कि में हाथी को मार कर ही दम लूँगा|
“लेकिन कैसे” ( सभी जानवरों ने एक स्वर में पुछा )
“अपनी बुद्धि और विवेक से….याद रखिये दुनिया में कोई भी कार्य असंभव नहीं होता” ( वृद्ध सियार ने कहा…)
ठीक है, अगर आप दुष्ट हाथी को मारने में सफल हो गए तो हम सब आपको अपना सरदार मान लेंगे.. ( सभी जानवरों ने एकमत होकर कहा )
Lalach Buri Bala Moral Story in Hindi
अगले दिन सुबह सुबह वह वृद्ध और बुद्धिमान सियार हाथी के निवास स्थान पर पहुंचा और हाथी से प्रणाम कारते हुए बोला …”श्री गजराज की जय हो….गजराज में आपके समक्ष जंगल के सभी जानवरों की और से उपस्थित हुआ हूँ | बात यह है, कि जंगल के राजा शेर अपनी जिम्मेदारियां सही ढंग से निभा नहीं पा रहें हैं, इसीलिए जंगल के सभी जानवरों ने आपको जंगल का नया राजा नियुक्त किया है| इसी विषय में आज सभी जानवर बरगद के पेड के निचे एकत्रित हुए हैं अतः आप चलिए और पदभार ग्रहण कर के अपने दायित्व को निभाइए|
बूढ़े सियार की बात सुनकर दुष्ट हाथी सत्ता के लोभ में फस गया और बिना कुछ सोचे समझे सियार के पीछे-पीछे चल दिया | सियार हाथी को उस रस्ते से बरगद के पेड की और ले गया जहाँ रास्ते में एक गहरा दलदल था| हाथी के दिमाग में सत्ता इस कदर हावी हो चुकी थी की उसे रास्ते का कुछ बोझ ही नहीं रहा| हाथी के विशालकाय होने के कारण जैसे ही हाथी का पैर दलदल में पड़ा वह और दलदल में धसता चला गया| हाथी ने सियार को मदद के लिए विनती की लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी, हाथी सियार के जाल में फास चूका था|
बहुत ही अच्छी काहानी
बहुत बहुत शुक्रिया अमित जी| इसी तरह हमें प्रोत्साहित करते रहें! धन्यवाद
It helped me a lot . And thanksss a lot☺☺☺☺☺??????????????
Thank your ??☺?
Thank You Very Much Dear
Kya Baat Hai Sir Bhut Achaa Likha Hai Aapne
Thank you very much
Very nice story
Keep it up
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I really enjoyed it.
Thank you so much