कुछ तो लोग कहेंगे- Moral Story in Hindi
Kuch to Log Kahenge Moral Story in Hindi
एक बार एक गाँव में एक बाप अपने बेटे के साथ घोड़े की लगाम पकडे पैदल जा रहा था| गर्मी का समय था| इसीलिए कुछ दूर जा कर पिता ने अपने पुत्र को उस घोड़े पर बिठा दिया| वै कुछ दूर चले ही थे कि दो यात्री उधर से निकले| पुत्र को घोड़े पर बेठा देख उन्होंने कहा “कैसा नालायक बेटा है, बाप पैदल चल रहा है और खुद घोड़े पर बैठा है”|
पुत्र स्वाभिमानी था, सौ उसे यह बात चुभ गई| वह चुपचाप घोड़े से उतर गया| अपने पिताजी से बोला, “पिताजी आप बेठ जाइये घोड़े पर और खुद पैदल चलने लगा” वै कुछ दूर चले ही थे कि कुछ लोग फिर उधर से निकले| पिता को घोड़े पर बता देह और पुत्र को पैदल चलता देख वै बोले “कैसा बाप है, जो बच्चे को पैदल चला रहा है और खुद लाट साहब बन कर घोड़े पर बैठा है| इस बात से पिता को धक्का लगा और वह भी घोड़े से उतर कर चुपचाप पैदल चलने लगा|
कुछ और आगे चल कर उन्हें तीसरे प्रकार के लोग मिले, जो कहने लगे “कैसे मुर्ख लोग है, घोडा होते हुए भी पैदल चले जा रहे हैं”| लोगों की बात सुनकर पिता ने पुत्र से कहा, “अब हम दोनों घोड़े पर बेथ जाते हैं”| अब दोनों घोड़े पर बेठ गए| वै कुछ दूर चले ही थे की उन्हें चौथे प्रकार के लोग मिले| जो कहने लगे, “अरे तुम दोनों एक घोड़े पर बेठ गए, घोड़े को मारने का इरादा है क्या”| लोगों की यह बात सुनकर पिता व् पुत्र दोनों घबराकर घोड़े से निचे उतर गए और एक पेड़ की छाव में बेठ गए|
वे सोचने लगे की अब क्या किया जाए, यह दुनिया तो किसी भी हाल में हमको जीने नहीं देती |
पिता को सारी स्थति समझ आ गई, उन्होंने अपने पुत्र को समझाते हुए बोला, “बेटा आज से एक बात गांठ बांध लो| हमेशा अपने भीतर की, अपने दिल की बात सुनना| लोगों की सुनोगे तो कभी किसी मुकाम पर नहीं पहुँच पाओगे|
कहानी का तर्क यही है, कि “कुछ तो लोग कहेंगे…लोगों का काम है कहना,,छोड़ो बेकार की बातो में कहीं बीत न जाए रैना”
Kuch to Log Kahenge Moral Story in Hindi