साथियों नमस्कार, आज हम आपके लिए एक ऐसी कविता “Hindi Poem on Daughter | में बेटी हूँ” लेकर आएं हैं जिसे पढ़कर आपको बेटियों पर गर्व महसूस होगा|
Hindi Poem on Daughter | बेटीयों और बहनों की अस्मिता का सवाल है
में बेटी हूँ
जी हाँ! में बेटी हूँ,
जिसके जन्म लेती ही…
माता पिता करने लगते हैं उसके दहेज़ की व्यवस्था|
जी हाँ! में वही बेटी हूँ,
में जनि जाती हूँ लक्ष्मी के रूप में भले…
पर मुझ पर किए जाते हैं अन्याय अनेक|
जी हाँ! में बेटी हूँ,
जिसके लिए नारे लगाए जाते हैं कई…
परन्तु कोख में ही ख़त्म कर दिया जाता है मुझे!
और तो और पढने से भी वंचित रखा जाता है मुझे|
जी हाँ! में वही बेटी हूँ,
पढ़ लिख कर आगे बढ़ना चाहती हूँ में,
समाज की इस व्यवस्था को बदलना चाहती हूँ में|
रचयिता – सपना कुमारी साह
बेटी
चहकतेविहान का आफ़ताब है बेटी,
महकते शाम का महताब है बेटी|
ज़िन्दगी के छंदों का अलंकार है बेटी,
कविता के पन्नों का संस्कार है बेटी|
वत्सल के श्रृंगार का रस है बेटी,
कल के संसार का यश है बेटी||
तुम मेरी सखी बनोंगी ना
सुख में दुःख में संग मेरे रहना,
तुम मेरी सखी बनोंगी ना!
Supper… Poem
Wow ?
जी शुक्रिया
M isko apni voice m YouTube pt dal du sir ji😊
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