Baccho ki Kahani | बच्चों की कहानियां
साथियों नमस्कार, कहते हैं की बच्चों को अगर कहानियों और कविताओं के माध्यम से कोई बात समझाने की कोशिश की जाए तो बच्चे उस बात को बखूभी ढंग से समझ पते हैं| इसीलिए हम हमारी वेबसाइट Hindi Short Stories के माध्यम से आपके लिए कुछ ऐसी Moral Stories लेकर आएं हैं जिन्हें आप अपने बच्चों को सुनकर उन्हें जीवन के कई पाठ और सिख आसानी से सिखा सकते हैं| आइये पढ़ते हैं Baccho ki Kahani | बच्चों की कहानियां
Baccho ki Kahani | पिता और पुत्र
एक गाँव में एक जवान बाप अपने छोटे से पुत्र के साथ रहता था| एक बार वह बच्चे को गोद में लिये आँगन में बैठा था। तभी कहीं से उड़कर एक कौआ उनके सामने खपरैल पर आकर बैठ गया।
पुत्र ने जिज्ञासावश पितासे पूछा-‘यह क्या है?’
पिता ने उत्तर दिया -“बेटा! यह कौआ है।”
पुत्र ने कुछ देर बाद फिर पुछा – “यह क्या है?”
पिता ने फिर सहजता से कहा – यह कौआ है।’
पुत्र बार-बार पूछता था क्या है ?
पिता स्नेह से बार-बार कहता था – ‘कौआ है।’
कुछ वर्षों में पुत्र बड़ा हुआ और पिता बूढ़ा हो गया। एक दिन पिता उसी आँगन में चटाई पर बैठा था। तभी घर में कोई उसके पुत्र से
मिलने आया।
पिता ने जिज्ञासावश पूछा—’कौन आया है?’
पुत्रने नाम बता दिया।
थोड़ी देर में कोई और आया और पिताने फिर वही पूछा।
इस बार झल्लाकर पुत्रने कहा-‘आप चुपचाप पड़े क्यों नहीं रहते। आपको कुछ करना-धरना तो है नहीं।
कौन आया? कौन गया? दिनभर यही क्यों पूछते रहते हो|
पिताने लम्बी साँस खींची। हाथसे सिर पकड़ा। बड़े दु:खभरे स्वरमें धीरे-धीरे वह कहने लगा-‘बेटा, जब तुम छोटे थे तो बार-बार मुझसे एक ही सवाल पुछा करते थे और में तुम्हें हर बार प्यार से बताता था| और अब मेरे बार-बार पूछने पर तुम क्रोध करते हो| तुम सैकड़ों बार एक ही बात पूछते थे —’यह क्या है?’ मैंने कभी तुम्हें झिड़का नहीं। मैं बार-बार तुम्हें बताता-‘कौआ है।’
अपने मातापिताका तिरस्कार करनेवाले ऐसे पुत्र बहुत बुरे माने जाते हैं। इसलिए हमें सदा इस बात का ध्यान रखना है कि माता-पिता ने हमारे पालन-पोषणमें कितना कष्ट उठाया है। और हमसे कितना स्नेह किया है|
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