Moral Stories for Kids in Hindi | परिणाम
साथियों नमस्कार, आज हम आपके लिए जो कहानी Moral Stories for Kids in Hindi | परिणाम लेकर आएं हैं उसे पढ़कर आपके मन में बच्चों के परीक्षा परिणाम को लेकर चल रही परेशानियाँ दूर होंगी|
साथ ही आप यह भी जान पाएँगे की इस वक़्त बच्चों के मन में किस तरह की परेशानियाँ चलती रहती है| इस कहानी को पढ़कर आप बच्चों से अहि व्यहवार भी करेंगे और उन्हें समय-समय पर मार्गदर्शित भी करेंगे!
Moral Stories for Kids in Hindi| परिणाम
कॉलेज की कंप्यूटर लैब में पहली बार यू-ट्यूब (youtube) को मिनीमाइज (minimize) कर माध्यमिक शिक्षामंडल की site को बार बार Rifresh करते देख मेने उसे टोका…………. ( लगता हे आज झोधा-अकबर बंद है )
कितनी बार कहा हे सर पर मत मारा कर….. ( उसने झुंझलाते हुए कहा )
<में हमेशा उस से इसी तरह से पेश आता था,वो मेरी Bestfriend थी। लेकिन इस इस तरह से परेशान पहले मेने उसे कभी नहीं देखा था>
क्या कर रही हे…. ( मेने कहा )
Result देख रही हु यार,चार बजे मेरी बहन का 10th का Result आने वाला हे।
( उसने कंप्यूटर की तरफ देखते हुए कहा )
<मेने घडी देखी,चार बजने में अभी पांच मिनुत बाकि थे और कॉलेज बस भी चार बजे तक ही रूकती थी>
में बस रुकवा रहा हु,जल्दी आ जाना। ( मेने कहा )
<कॉलेज बस चार बजे ही आती थी, लेकिन इन चार सालो में इतनी पहचान तो हो ही गई थी की थोड़ी देर बस रुकवा सकु>
ठीक चार बजकर दस मिनट पर वो बहार आई।
( मेने काका से बस चलाने को कहा )
लगभग पन्द्रह मिनट के बाद में अपने रूम पर पंहुचा और हमेशा की तरह ही रूम पर पहुच कर सो गया…
(लगभग दो घंटे बाद मेरे मोबाइल की घंटी बजी…..)
इस से बात कर यार,ये रो रही हे…..( सामने से आवाज आई )
कौन रो रही हे…..( मेने कहा )
मेरी बहन…… ( और उसने मोबाइल उसकी बहन को दे दिया )
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मे पहली बार किसी ऐसी लड़की से बात कर रहा था, जो रो रही थी…….
मेने उसे समझाया की सबका Result ऐसा आया हे बहुत सारे Student फ़ैल हो गए हें, हम Ri-chacking करवाएँगे तू बस रो मत बस…..
हाँ भैया ( उसने रोते हुए कहा )
<मोबाइल वापस मेरी Friend ने लिया>
कितने सब्जेक्ट में फ़ैल हुई हे……. ( मेने पूछा )
फ़ैल नहीं हुई यार Percentage कम बने हें, इसलिए रो रही हे…. ( उसकी आवाज़ में एक अलग ही गहराई थी )
क्या रहा Risult ( मेने पूछा )
65%, First Division से पास तो हो गई, पर……..
पर क्या……. ( मेने पूछा )
पापा को बहुत उम्मीद थी यार छोटी से,वो तो 85 % की बोल रहे थे…..और इसने मेहनत भी की इतनी पर पता नई क्यों Risult ऐसा आया।
अब जब शाम को पापा आएँगे तो पता नहीं क्या होगा।…….
( उसने एक सांस में ही सब बोल दिया )
कुछ नहीं होगा,आगे उसको क्या करना हे ये सोचो…. ( मेने कहा )
ठीक हे,में समझाती हूँ इसको ….. ( उसने इतना कहा और फोन कट कर दिया )
2 दिन बाद……..
रोज़ की तरह ही तरह सुबह-सुबह हाथ में अख़बार लिए ,में Hotel पर चाय पि रहा था। अनायास ही मेरी नज़र एक Photo पर पड़ी। .. लगभग 30 बरस का एक आदमी, एक 14 बरस की लड़की को थाम कर तालाब में खड़ा हुआ था …
उत्सुकता से मेने अख़बार को मोड़ कर करीब से देखा…….लिखा था, “दसवीं की एक छात्रा ने तालाब में कूद कर की खुदखुशी की कोशिश ……राह चलते आदमी ने बचाया”।
मेने पूरी खबर पढ़ी…
अचानक जी मुझे छोटी का खयाल आया,वो भी तो उस दिन बहुत Tension में थी…..
मेने फोन लगाया ( मेरी सांसे तेज़ थी और हाथ कांप रहे थे )
छोटी से बात करवा ( फोन Recieave होते ही मेने कहा )
वो तो अपने मामा के यहां हे ( उसने कहा )
नंबर सेंड कर मुझे उसके ( मेने कहा )
<उसने बिना कुछ पूछे मुझे नंबर सेंड कर दिए, शायद यही हमारी दोस्ती का विश्वास था>
मेने Call करके बात की,वो बिलकुल खुश थी जैसे कुछ हुआ ही ना हो….
“पापा ने कुछ बोला तो नहीं” (मेने पूछा)
में घर रुकी ही नहीं भैया ,सीधे मामा के यहाँ आ गई ( उसने हसते हुए कहा )
उस हँसी में मुझे उसकी समझदारी दिखी…और उसके पापा की नादानी।
इस बात ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया, की क्यों माता-पिता अपने बच्चो पर Exam का इतना Pressure डाल देते हे की वो उस परीक्षा को ही अपनी ज़िन्दगी समझ बेठते हे। …
एक दिन में ही उस लड़की की ज़िन्दगी मेरे लिए इतनी अनमोल हो गई की, उसकी ज़िन्दगी के बारे में सोच कर में कापने लगा।
फिर क्यों माता-पिता ये नहीं समझते की ज़िन्दगी हर पल कोई न कोई परिणाम तो देती ही हे पर इन परिणामो पर पड़ने वाला दबाव बहुत घातक परिणाम ले कर आता हे…..
पता नहीं कितने ही विद्यार्थियों ने इस साल खुदखुशी की कोशिश की ,कुछ खुशनसीब बच गए और कुछ बदनसीब नहीं,,,,,,,,लेकिन परिणाम तो दिल दहला देने वाला ही था। …
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“चिंता क्यों करें”
एक बार एक राज्य का राज कुमार अपने चार-पांच दोस्तों के साथ घुमने निकला! राजकुमार ने देखा की राज्य की कुछ गुर्जर स्त्रियाँ दूध, दही और छाछ बेचने पास ही के एक शहर में जा रही थी| गुर्जर स्त्रियों को देखकर राजकुमार को अचानक भगवान् कृष्ण की याद आ गई!
राजकुमार नें सोचा, “भगवान् कृष्ण भी अपने समय में गोपियों के दूध दही को लुट लिया करते थे तो क्यों न हम भी आज ठीक वैसा ही करें और इन गुर्जर स्त्रियों के दूध-दही को लुट लें…और बाद में इसे तमाशा बताकर उनको उनके दूध दही का दाम चूका देंगे!
बस राजकुमार के सोचने भर की देर थी! राजकुमार और उनके साथियों ने मिलकर गुर्जर स्त्रियों की मटकियाँ फोड़ दी| गुर्जर स्त्रियों ने जब अपना नुकसान होते देखा तो वह वहीँ बैठकर रोने लगी|
लेकिन उन सभी स्त्रियों में से एक गुर्जर स्त्री थी जिसका मटका फुट गया था, छाछ बिखर गई थी और वह बेठ कर जोर-जोर से हसने रही थी| राजकुमार को उसे देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ!
राजकुमार ने जाकर गुर्जर स्त्री से पुछा, “सभी स्त्रियों के साथ-साथ तुम्हारा भी नुकसान हुआ है लेकिन तुम रोने के बजाए हस रही हो, आखिर क्या बात है ?
गुर्जर स्त्री ने राजकुमार की और देखकर मुस्कुराते हुए कहा, राजकुमार! मेरी कहानी बड़ी लम्बी है में छाछ गिरने का क्या शौक करू! राजकुमार ने आश्चर्यता पूर्वक उसे अपनी बात सुनांने का आदेश दिया|
गुर्जर स्त्री ने कहा, राजकुमार! में पास ही के राज्य में एक बहुत ही बड़े धनवान सेठ की पत्नी थी! मेरा एक बालक था| तभी सेठ जी को व्यापार में घाटा हो गया और सेठ जी को व्यापार करने के लिए विदेश जाना पड़ा!
में भी घर खर्च चलाने के लिए बाज़ार में ही एक दुकान पर काम करने लगी! तभी राज्य के राजा नगर भ्रमण के लिए निकले और उनकी नज़र मुझ पर पड़ गई! राजा की नियत मेरे सुन्दर रूप और रंग को देखकर ख़राब हो गई|
राजा ने मुझे अपने महल में बुलाया और मुझसे अकेले एक कक्ष में मिलने के लिए कहा| मेरे मन करने पर राजा मुझे म्रत्युदंड की सजा सुनाने लगे| मेने राजा को कुछ दिनों बाद खुद आने की बात कही और महल से वापस आ गई|
घर आकर मेने अपने पति को एक पत्र लिखकर सारी घटना बता दी और जल्दी से वापस लौट आने का कहा| कुछ ही दिनों में मेरे पति विदेश से आ गए| हमने इस संकट पर आपस में बैठकर बात की और संकट से उबरने का उपाय सोचने लगे|
सेठ ने मुझे राजा को समय देकर एकांत में बुलाने के लिए कहा| अगले ही दिन मेने राजा के पास संदेसा भिजवाया की में अप्प्से मिलने के लिए तैयार हूँ लेकिन मेरी एक शर्त यह है की जब आप मुझसे मिलने आएं तो उस जगह के एक मिल के दायरे में कोई भी व्यक्ति न हो!
राजा ने मेरी शर्त को मान लिया| तय समय से पहले ही हम दौनों पति-पत्नी राजा को बताए स्थान पर पहुँच गए| में साथ में एक तलवार लेकर गई| मेने अपने पति को पास ही के एक खंडहर में छुपने के लिए कहा और खुद राजा से मिलने के लिए पहुँचीं|
जैसे ही राजा मेरे करीब आया मेने धोखे से उसके पेट में तलवार मार कर उसे मार दिया| राजा को मारकर जब में अपने पति के पास पहुंची तो मेने देखा की मेरे पति मृत पड़े हैं|
मेने समीप ही एक सांप को जाते देखा| मेने सोचा हो न हो इसी सांप ने मेरे पति को डसा है जिससे मेरे पति की मौत हो गई है| अब मुझे यह चिंता सताने लेगी थी की राजा के सैनिक जल्द ही मुझे ढूंढ लेंगे और मुझे फंसी की सजा सुना दी जाएगी|
इसी डर से में बिना कुछ सोचे समझे वहां से भाग निकली| इसी कश्मकश में मुझे अपने बालक का ध्यान ही नहीं रहा और में उसे वहीँ छोड़ आई| में रात भर जंगल में भागती रही|
रात में जंगल में मुझे कुछ डाकू मिल गए! डाकुओं ने मुझे पकड़ लिया और मेरे गहने और रुपयों को छिनकर मुझे वेश्यालय में बेच दिया|
अब में न चाहते हुए भी वेश्यालय में आकर फस गई| इधर राज गद्दी पर कोई दूसरा राजा बता जिसने मेरे बालक को पाल-पोसकर बड़ा किया| मेरा बालक वहीँ राज्य में नौकरी करने लगा|
में भी वेश्यालय में कुसंगत में रहकर वेश्या बन गई थी| एक दिन वह लड़का मेरे पास आया और रात भर मेरे पास रहा| रात में मुझे कुछ शंका हुई की हो न हो यह वही होना चाहिए|
मेने सुबह उस से उसका नाम और पता पुछा तो मुझे पता चला की यह मेरा ही बालक है| मुझे खुद पर बड़ी ग्लानी महसूस हुई| अनजाने में ही सही लेकिन मुझसे बहुत बड़ा पाप हो गया था| अब मुझे अहसास हुआ की में क्या थी और क्या बन गई|
मेने पंडित-विद्वानों से पूछा की अगर इस तरह का पाप किसी से हो जाए तो उसे क्या करना चाहिए| पंडितों में मुझे बताया की जिससे ऐसा पाप हो जाए उसे चिता जलाकर आग में बेठ जाना चाहिए|
तभी मुझे विचार आया की अगर में चिता में बेथ गई तो गांगजी में मेरी अस्थियाँ कौन बहाएगा| इसी सोच विचार में, में गंगाजी के किनारे ही लकड़ियाँ बिछाकर उन पर बेठ गई और लकड़ियों में आग लगा दी|
आग के दुएँ से में कुछ ही देर में बेहोंश हो गई| तभी गंगाजी में बाढ़ आ गई और में लकड़ियों के साथ गंगाजी में बह गई| कुछ ही देर में लकड़ियों में लगी आंग बुझ गई और में लकड़ियों के साथ एक गाँव के किनारे आ गई|
उस गाँव में गुर्जर बसते थे| अब में उन्हीं गुर्जरों का दूध, दही, छाछ बेचकर अपना काम चलती हूँ|
मेरी ज़िन्दगी में इतना कुछ हुआ है, ऐसी-ऐसी दशा हुई है कि अब छाछ ढुल जाने की क्या चिंता करूँ| जीवन में ऐसी बातें होती रहती है और बीतती रहती है| आगे ऐसी छोटी-छोटी बैटन की चिंता करने लग जाउंगी तो जीवन जी ही नहीं पाउंगी|
राजकुमार को गुर्जरी की कहानी सुनकर आज जीवन की एक बहुत बड़ी सिख मिल गई थी| राजकुमार ने गुर्जरी को छाछ के हुए नुकसान की भरपाई की और जीवन का एक बहुत बड़ा पाठ सीखकर अपने महल आ गया|
तो साथियों इस कहानी “Moral Stories for Kids in Hindi” से हमें यही शिक्षा मिलती है की हमें जीवन में व्यर्थ की चिंता में अपने जीवन को बर्बाद नहीं करना चाहिए| जीवन के हर पलकों जीना चाहिए| सुख-दुःख तो जीवन में आते रहेंगे|
“एक शहर में चार साधू”
एक बार एक नगर में चार साधू विचरण करते हुए आए| एक साधू शहर के चौराहे में जाकर बेठ गया, एक घंटाघर में जाकर बैठ गया, एक कचहरी में जाकर बेठ गया और एक शमशान में जाकर बैठ गया|
नगर के चौराहे पर साधू को बैठा देख लोगों ने साधू से आकर पूछा, “बाबाजी आप यहाँ आकर क्यों बेठे हो ? क्या आपको शहर में कोई बढ़िया धार्मिक जगह नहीं मिली”
साधू ने कहा, “यहाँ चारों दिशाओं से लोग आते हैं और चरों दिशाओं में जाते हैं| किसी आदमी को पुछो तो वह कहता है रुकने का टाइम नहीं है बहुत काम है, जरुरी काम पर जाना है” बस यह पता नहीं लगता की वह जरुरी काम किस दिशा में है ?
सांसारिक कामों में भागते-भागते जीवन बीत जाता है, हाथ कुछ नहीं लगता| न तो सांसारिक काम पुरे होते हैं और न ही भगवान् का भजन होता है| इसलिए हमें यह जगह बैठने के लिए बढ़िया दिखती है, जिससे सावधानी बनी रहे|
घंटाघर में बैठे साधू से लोगों ने पुचा की बाबाजी! यहाँ क्यों बैठे हो ?
साधू ने कहा- “घडी की सुइयां दिनभर घुमती है, पर बारह बजते ही हाथ जोड़ देती है की बस, हमारे पास इतना ही समय है, अधिक कहाँ से लाएं ?
घंटा बजता है तो वह बताता है की तुम्हारी उम्र से एक घंटा कम हो गया है| जीवन का समय सिमित है| हर पल आयु नष्ट हो रही है और मौत नजदीक आ रही है| अतः सावधान होकर अपना समय भगवान् के भजन और दूसरों की सेवा में लगाना चहिये|
इसलिए साधू के बैठने की यह जगह हमें बढ़िया दिखती है, जिससे सावधानी बनी रहे|
कचहरी में बैठे साधू से लोगों ने पुछा की, “बाबाजी! आप यहाँ क्यों बैठे हो ?
लोगों की बात सुनकर तीसरे साधू ने कहा, “यहाँ दिनभर अपराधी आते रहते हैं और पुलिस उनको डंडे मारती रहती है| मनुष्य पाप तो अपनी मर्जी से करता है, पर दंड क्यों भोगना पड़े ?
इसलिए साधू के बैठने की जगह मुझे सबसे अच्छी यही दिखती है, जिससे सावधानी बनी रहे|
शमशान में बैठे साधू से लोगों ने पुछा बाबाजी! अप यहाँ क्यों बैठे हो ? साधू ने कहा – “शहर में कोई आदमी हमेशा के लिए नहीं रहते| सबको एक दिन यहाँ आना ही पड़ता है| यहाँ आने के बाद फिर आदमी कहीं नहीं जाता|
यहाँ आकर उसकी यात्रा समाप्त हो जाती है| कोई भी आदमी यहाँ आने से बाख नहीं सकता| अतः जीवन के रहते-रहते परम लाभ की प्राप्ति कर लेनी चाहिए, जिससे फिर संसार में आकर दुःख न पाना पड़े|
इसलिए साधू के बैठने की जगह मुझे सबसे अच्छी यही दिखती है, जिससे सावधानी बनी रहे|
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बहुत बहुत धन्यवाद सर , मै आपकी daily reader हूँ….आप बहुत अच्छा लिखते हो और सभी पोस्ट में काफी helpful जानकारी देते है …thank you sir
हमारा लक्ष्य हिंदी भाषा को एक अलग मंच देने का है| इस तरह हमारा सपोर्ट करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद|