Skip to content
Moral Story

हम जब बचपन (Bachpan) में स्कूल (School) में पढ़ा करते थे..तो अक्सर हमारी निगाहें एक कहानी (Story) पर आकर रुक जाती थी। “आम के पेड़ वाली कहानी”…जी हाँ, हम उसी कहानी (Moral Story) की बात कर रहें हें जिसमे एक आम का पेड़ एक बच्चे को जीवन भर कुछ ना कुछ देता रहता है, लेकिन बड़े होने के बाद भी उस पेड़ के त्याग को कोई समझ नहीं पता…

जनाब, अगर अब भी वो कहानी आपको याद  नहीं आई तो लीजिये पढ़ लीजिये और अपने बचपन की यादों (Childhood Memory) को तरोताजा रखिये…..


Moral Story | बचपन की कहानी आम का पेड़

एक बच्चे को आम का पेड़ बहुत पसंद था। जब भी फुर्सत मिलती वो आम के पेड के पास पहुच जाता। पेड के उपर चढ़ता, आम खाता, खेलता और थक जाने पर उसी पेड़ की छांव  मे सो जाता।

धीरे-धीरे उस बच्चे और आम के पेड के बीच एक अनोखा रिश्ता बन गया. “दोस्ती का रिश्ता “। बच्चा जैसे-जैसे बडा होता गया, वैसे-वैसे उसने पेड के पास आना कम कर दिया और कुछ समय बाद तो बिल्कुल ही बंद हो गया।

आम का पेड अपने उस छोटे से दोस्त (Friend) को याद करके अकेला रोता।

एक दिन अचानक पेड ने अपने उस दोस्त को अपनी तरफ आते देखा। पेड़ को लगा अब फिर वही पुराने दिन लौट आएँगे, पेड़ ने उस लड़के के पास आने पर कहा, “तू कहां चला गया था? मै रोज तुम्हे याद किया करता था। चलो आज फिर से दोनो खेलते है।”

बच्चे ने आम के पेड से कहा,
“अब मेरी खेलने की उम्र नही है। मुझे पढना है, लेकिन मेरे पास फीस भरने के पैसे नही है।”

पेड ने कहा,
“तू मेरे आम (Mengo) लेकर बाजार मे बेच दे और इससे जो पैसे मिले उससे अपनी फीस भर देना।”

उस बच्चे ने आम के पेड से सारे आम तोड़ लिए और उन सब आमो को लेकर वहा से चला गया।

उसके बाद वह फिर कभी दिखाई नही दिया। आम का पेड उसकी राह देखता रहता।

एक दिन वो फिर आया और कहने लगा,
“अब मुझे नौकरी मिल गई है, मेरी शादी हो चुकी है, मुझे मेरा अपना घर बनाना है, लेकिन उसके लिए मेरे पास अब पैसे नही है।”

आम के पेड ने कहा,
“तू मेरी सभी डाली को काट कर ले जा और उससे अपना घर बना ले।” उस जवान ने पेड की सभी डालियाँ काट ली और ले के चला गया।

आम के पेड के पास अब कुछ नहीं था वो अब बिल्कुल बंजर हो गया था। कोई उसे देखता भी नहीं था। पेड ने भी अब यह उम्मीद छोड दी थी, कि उसका वो दोस्त जो उसके साथ बचपन में खेला करता था उसके पास फिर आयेगा।

फिर एक दिन अचानक वहाँ एक बुढा आदमी आया। उसने आम के पेड से कहा,
“शायद आपने मुझे नही पहचाना, मैं वही बालक हूं जो बार-बार आपके पास आता और आप हमेशा अपने टुकड़े काटकर भी मेरी मदद करते थे।”

आम का पेड़-Moral Story
आम का पेड़-Moral Story

आम के पेड ने दु:ख के साथ कहा,

“पर बेटा मेरे पास अब ऐसा कुछ भी नही जो मै तुम्हे दे सकु।”

वृद्ध ने आंखो मे आंसु लिए कहा,
“आज मै आपसे कुछ लेने नही आया हूं बल्कि आज तो मुझे आपके साथ जी भरके खेलना है, आपकी गोद मे सर रखकर सो जाना है।”

इतना कहकर वो आम के पेड से लिपट गया और आम के पेड की सुखी हुई डाली फिर से अंकुरित हो उठी….

वो आम का पेड़ और कोई नही हमारे माता-पिता हैं दोस्तों। हम जब छोटे थे तो हमें उनके साथ खेलना अच्छा लगता था। लेकिन जैसे-जैसे हम बडे होते चले गये उनसे दुर होते गये। पास भी तब आये जब कोई जरूरत पडी, कोई समस्या खडी हुई।

आज कई माँ बाप उस बंजर पेड की तरह अपने बच्चों की राह देख रहे है। जाकर उनसे लिपटे, उनके गले लग जाये।फिर देखना वृद्धावस्था में उनका जीवन फिर से अंकुरित हो उठेगा….


साथियों आपको “Moral Story | बचपन की कहानी आम का पेड़” हमारा यह आर्टिकल कैसा लगा हमें कमेंट सेक्शन में ज़रूर बताएं और हमारा फेसबुक पेज जरुर LIKE करें|

साथियों अगर आपके पास कोई भी रोचक जानकारी या कहानी, कविता हो तो हमें हमारे ईमेल एड्रेस hindishortstories2017@gmail.com पर अवश्य लिखें!

अब आप हमारी कहानियों का मज़ा सीधे अपने मोबाइल में हमारी एंड्राइड ऐप के माध्यम से भी ले सकते हैं| हमारी ऐप डाउनलोड करते के लिए निचे दी गए आइकॉन पर क्लिक करें!

Hindi Short Storiesयह भी पढ़ें

संघर्ष-Moral Story in Hindi

2 thoughts on “Moral Story | बचपन की कहानी आम का पेड़”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Hindi Short Stories » Moral Story | बचपन की कहानी आम का पेड़

Moral Story | बचपन की कहानी आम का पेड़

Exit mobile version