Skip to content
Hindi Kavita

साथियों नमस्कार, आज हम आपके लिए एक ऐसी करुणादायक “Hindi Kavita | भूख” लेकर आएं हैं जिसे पढ़कर आपको समाज के एक ऐसे वर्ग को जानने का मौका मिलेगा जो सारी बिनियादी सुविधाओं से आज भी वंचित है पढ़ें


Hindi Kavita | भूख 

वो खड़ी थी दरवाज़े पर, अकेले कब से…
चूल्हे से रोटी की भीनी खुशबु आई थी शायद जब से..

या शायद तब से जब माँ ने पंडित के कहने पर एक रोटी कुत्ते को डाली
या शायद तब से जब हम सब ने अपने हिस्से की रोटी खा ली..

वो खड़ी रही तब तक, जब तक बर्तनों के खड़कने की आवाज़ नहीं आई…
वो कड़ी रही तब तक, जब तक माँ उसके लिए रोटी नही लाई!

शायद इंतजार था उसे हम सब का पेट भर जाने का…
या शायद इंतजार था बची हुई रोटी अपने घर ले जाने का!

वो जानती थी की इस दरवाज़े के भीतर भी एक माँ है…
वो जानती थी की उसकी भूख का इलाज है तो सिर्फ यहाँ है!

भूख सिर्फ रोटी की नहीं थी उसे जो कहीं से मिल जाए और मिट जाए…
भूख उस ममता की थी जिस से रोटी के लालच में वो लिपट जाए!

भूख थी की कोई एक निवाला भी उसे अपने  हाथो से खिलाए…
नए फैशन की फ्राक कोई उसे भी प्यार से दिलाए!

यही सब सोचती वो कड़ी थी अब भी बहार…
भूखी ही चली गई आज फिर किसी को अपना ना पाकर!

भूख – Hindi Kavita


साथियों आपको “भूख – Hindi Kavita हमारी यह कविता आपको कैसी लगी हमें कमेंट सेक्शन में ज़रूर बताएं और हमारा फेसबुक पेज जरुर LIKE करें|

साथियों अगर आपके पास कोई भी रोचक जानकारी या कहानी, कविता हो तो हमें हमारे ईमेल एड्रेस hindishortstories2017@gmail.com पर अवश्य लिखें!

अब आप हमारी कहानियों का मज़ा सीधे अपने मोबाइल में हमारी एंड्राइड ऐप के माध्यम से भी ले सकते हैं| हमारी ऐप डाउनलोड करते के लिए निचे दी गए आइकॉन पर क्लिक करें!Hindi Short Storiesयह भी पढ़ें:-

मुझे पता है-Hindi Poetry

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Hindi Short Stories » Hindi Kavita | भूख

Hindi Kavita | भूख

  • SHAYARI