नैतिक कहानियां | Prernadayak Kahaniya
कहानियों का हमारी ज़िन्दगी को एक मुकाम तक ले जाने में बहुत बड़ा योगदान होता है और जब कहानियाँ नैतिक कहानियां | Prernadayak Kahaniya हो तो ज़िन्दगी में काफी कुछ सीखकर, ज़िन्दगी की कई बड़ी-बड़ी गलतियों से बचा जा सकता है| इसी बात को ध्यान में रखते हुए hindishortstories.com आप सभी के लिए कुछ खास नैतिक कहानियां | Prernadayak Kahaniya लेकर आया है….
नैतिक कहानियां | Prernadayak Kahaniy
१. गुरु मंत्र
एक बार एक पहुंचें हुए महात्मा के पास तिन मित्र गुरु मंत्र लेने पहुंचे| तीनो मित्रों ने बड़े ही नम्र भाव से गुरुवर को प्रणाम कर अपनी जिज्ञासा प्रकट की| महात्मा ने तीनों को अपना शिष्य बनाने से पहले तीनों की परीक्षा लेने के मन से तीनों मित्रों से एक प्रश्न पुछा,- “बताओ कान और आँख में कितना अंतर है ?”
एक ने उत्तर दिया – “केवल पांच अंगुल का गुरुवर” महात्मा ने उसे एक और खड़ा करके, दुसरे से उत्तर देने के लिए कहा| दुसरे ने उत्तर दिया, – “महाराज, आँख देखने का काम करती है और कान सुनने का इसलिए प्रमाणिकता की दृष्ठि से देखा जाए तो आँख का महत्त्व अधिक माना जाएगा|
महात्मा ने उसको भी एक और खड़ा कर दिया और तीसरे को अपना उत्तर देने के लिए कहा| महात्मा की आगया पाकर तीसरे ने उत्तर दिया, -” भगवन! कान का महत्त्व आँख से अधिक है, क्यों कि आँख केवल लोकिक और द्रश्यमान संसार को ही देख पति है| लेकिन कान को इस संसार के साथ-साथ परलौकिक संसार का ज्ञान प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त है| इसीलिए कान का महत्त्व आँख से कई गुना अधिक माना जा सकता है|
महात्मा तीसरे की बात सुनकर बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने तीसरे को अपने पास रोकते हुए बाकि दोनों को कर्म और उपासना का उपदेश देते हुए अपनी विचार शक्ति को बढ़ाने हेतु संसार भ्रमण की आज्ञा देकर विदा कर दिया|
नैतिक कहानियां | Prernadayak Kahaniya
२. लक्ष्य
एक लड़के ने एक बार एक बहुत ही धनवान व्यक्ति को देखकर धनवान बनने का निश्चय किया| वह धन कमाने के लिए कई दिनों तक महनत कर धन कमाने के पीछे पड़ा रहा और बहुत सारा पैसा कमा लिया| इसी बिच उसकी मुलाकात एक विद्वान से हो गई| विद्वान के एश्वर्य को देखकर वह आश्चर्यचकित हो गया और अब उसने विद्वान बंनने का निश्चय कर लिया और अगले ही दिन से धन कमाने को छोड़कर पढने-लिखने में लग गया| वह अभी अक्षर ज्ञान ही सिख पाया था की इसी बिच उसकी मुलाकात एक संगीतज्ञ से हो गई| उसको संगीत में अधिक आकर्षण दिखाई दिया, इसीलिए उसी दिन से उसने पढाई बंद कर दी और संगीत सिखने में लग गया|
इसी तरह काफी उम्र बित गई, न वह धनि हो सका ना विद्वान और ना ही एक अच्छा संगीतज्ञ बन पाया| तब उसे बड़ा दुख हुआ| एक दिन उसकी मुलाकात एक बहुत बड़े महात्मा से हुई| उसने महात्मन को अपने दुःख का कारन बताया| महात्मा ने उसकी परेशानी सुनी और मुस्कुराकर बोले, “बेटा ! दुनिया बड़ी ही चिकनी है, जहाँ भी जाओगे कोई ना कोई आकर्षण ज़रूर दिखाई देगा| एक निश्चय कर लो और फिर जीते जी उसी पर अमल करते रहो तो तुम्हें सफलता की प्राप्ति अवश्य हो जाएगी नहीं तो दुनियां के झमेलों में यूँ ही चक्कर खाते रहोगे| बार-बार रूचि बदलते रहने से कोई भी उन्नत्ति नहीं कर पाओगे|”
युवक महात्मां की बात को समझ गया और एक लक्ष्य निश्चित कर उसी का अभ्यास करने लगा|
नैतिक कहानियां | Prernadayak Kahaniya