साथियों नमस्कार, आज हम आपके लिए एक ऐसी कहानी “Dahej Pratha Story | दहेज़ प्रथा कहानी” लेकर आएं हैं जिसे पढ़कर आप भारतीय समाज में व्याप्त एक गंभीर कुरूति को अच्छे से समझ पाएँगे|
यह कहानी सत्य घटने पर आधारित है जिसे हमें हमारे एक पाठक नें भेजा है| आशा है आपको हमारी यह कहानी पसंद आएगी|
Dahej Pratha Story | दहेज़ प्रथा कहानी
साल 2036 की वो शाम,
गमी से बुरा हाल…..कूलर की हवा में बेठा हर रोज़ की तरह में टीवी देख रहा था, टीवी तो क्या डब्बा था डब्बा। LED तो हमने रमेश की शादी में समधी सा को Gift में दे दिया था…..
बस, तब से हम इसी से काम चला रहे थे। हालाकी, जब हमें ये हमारे ससुराल से Gift में मिला था तब ये किसी LED से कम नहीं था।
तभी मोबाइल की घंटी बजी……( फ़ोन रमेश के ससुराल से था )
हम गीता को नहीं भेजेंगे…..(सामने से आवाज आई)
कोई बात नहीं, बच्चों की भी अभी छुट्टी चल रही हे। कुछ दिन और रहने दो…(मेने कहा)
हम उसे अब कभी नहीं भेजेंगे…….(समधी जी ने कहा)
क्या हो गया,अभी तो ख़ुशी ख़ुशी गई थी बहु यहाँ से…..(मेने बात को सम्हालते हुए कहा)
वो तो खुश हे, लेकिन हम खुश नही हे। आप तो हमारी बेटी को ले गए अब हमारा ध्यान कौन रखेगा…….(समधन जी ने पीछे से कहा)
में कुछ समझा नहीं…..(मेने कहा)
समझाना समझना कुछ नहीं हे, गर्मी बहुत हे हमें AC चाहिए…..वर्ना अपनी बहु को भूल जाओ। (और फ़ोन कट गया )
<मेरे पेरो तले ज़मीन खिसक गई थी ,मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की मैं क्या करू ……. हालाकी मुझे इतना जरुर पता था की जिस चीज की वे लोग माांग कर रहे थे वो दहेज था!>
मेने रमेश को अाावाज लगाई……
बहु के साथ कुछ झगडा हुआ था क्या..(मेने पुछा)
नही तो,वो तो बहुत खुशी से जा रही थी..बहुत दिनों बाद अपने मम्मी पापा से जो मिलने वाली थी….पर हुआ क्या…
वे अब बहु को नहीं भेजेंगे, फोन पर अभी उन्होंने A.C. की मांग की है..
लेकिन पापा…..ऐसा कैसे हो सकता है, गीता को तो पता है की शादी का कर्जा ही अभी उतरा नही है तो फिर यह ए.सी. …..(रमेश ने गीता को कसुरवार ठहराया)
<बातचीत अब कोतुहल का विषय बनती जा रही थी> <रमेश की माँ, जो काफी देर से रसोई से हमारी बातो को आटे की पिटाई करते हुए सुन रही थी…अब बातचीत का हिस्सा थी>
यह भी तो हो सकता है, की बहु को इस बारे में कुछ पता ही ना हो…(रमेश की माँ ने कहा )
<कीसी सााँस का अपनी बहु पर इस तरह का विश्वास मेने पहली बार देखा था>
क्या हुआ दादु…(रमेश की छोटी बेटी ने कहा)
<शायद,समाज के इस पहलु ने उसे भी अपनी किताबी दुनिया से बाहर आने पर मजबूर कर दिया>
तुम अभी छोटी हो, तुम नही समझोगी…(रमेश ने उसे टोकते हुए कहा)
क्यों नहीं समझूंगी, मुझे पता है आप लोग दहेज (Dahej Pratha) की बात कर रहे है..(छोटी के इस शब्द “दहेज” ने सभी को स्तब्ध कर के रख दिया…)
मेने अपनी हिंदी की किताब मे पढा था दहेज के बारे मे …“शादी के समय वर पक्ष द्वारा वधू पक्ष से किए गए उपहार की मांग को ही दहेज कहते हें ” (दहेज की परिभाषा देकर छोटी ने अपने बडे हो जाने का प्रमाण तो दिया, लेकिन इस शब्द की गहराई से वो बबल्कुल अंजान थी…)
लेकीन दादु, ये प्रथा (Dahej Pratha) तो कब से बंद हो गई…और वैसे भी दहेज तो लडके वाले मांगते हें ना, तो फिर नानाजी हमसे क्यों मांग रहें हैं…(छोटी ने कहा)
<छोटी के इन सवालौ ने मुझे वापस अपनी उस दुनिया में ले जाकर खडा कर दिया, जहाँ में कभी इन मुद्दों पर अपनी राय रखता था>
nice article good job read also
Thank you very much KUNDAN MALI
Shayad aane wale shaalon me aisa hi ho ki dulhe wale ko dahej dena pade. Nice article.
जी आपका कहना उचित है लेकिन हम यह चाहते हैं की दहेज़ प्रथा जड़ से ही समाप्त हो जाए! धन्यवाद…
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I will like your stories to read.